माह: जून 2019

ईर्ष्या का अंत

लोकप्रिय फ़्रांसिसी कलाकार एडगर दिगास अपने बैले नर्तकियों(ballerinas) के पेंटिंग के लिए विश्व भर में याद किए जाते हैं l उन्होंने अपने मित्र एवं कलात्मक विरोधी एडौर्ड मेनेट, एक और माहिर पेंटर के प्रति जो इर्ष्या प्रगट की वह कम प्रगट है l एडगर मेनेट के विषय कहते हैं, “जो कुछ वह करता है हमेशा ही तुरंत आरंभ कर देता है, जबकि मैं बेहद कोशिश करता हूँ और उसके बाद भी सही नहीं कर पाता हूँ l”

ईर्ष्या, एक विचित्र भाव है – जिसे प्रेरित पौलुस ने सबसे खराब लक्षणों की सूची में रखा है, “सब प्रकार के अधर्म, और दुष्टता, और लोभ, और वैरभाव और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्ष्या . . . और चुगलखो[री]” (रोमियों 1:29) l पौलुस लिखता है कि यह मूर्खतापूर्ण सोच का परिणाम है – परमेश्वर के स्थान पर मूर्तियों की उपासना करने का परिणाम (पद.28) l

लेखिका ख्रिसटीना फॉक्स कहती हैं कि जब विश्वासियों के मध्य ईर्ष्या बढ़ती है, यह इसलिए है “क्योंकि हमारे हृदय हमारे एकमात्र सच्चे प्रेम से फिर गए हैं l” उसने कहा, “हमारी ईर्ष्या में हम यीशु की ओर देखने के बजाए इस संसार के घटिया सुख के पीछे भाग रहे होते हैं l परिणाम, हम भूल गए हैं हम किसके हैं l”

फिर भी एक समाधान है l परमेश्वर की ओर लौट जाएँ l पौलुस ने लिखा, “अपने अंगों को . . . परमेश्वर को सौंपों” (रोमियों 6:13) – विशेषकर अपने कार्य और जीवन l अपने एक अन्य पत्री में पौलुस ने लिखा, “पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा” (गलतियों 6:4) l

परमेश्वर की आशीष के लिए धन्यवाद – केवल वस्तुएं नहीं, परन्तु उसके अनुग्रह की स्वतंत्रता के लिए l परमेश्वर द्वारा दिए गए अपने दानों को देखते हुए, हम पुनः संतोष प्राप्त करते हैं l

आंधी में उपस्थित

हमारे चर्च के छः लोगों के एक परिवार के घर में भयानक आग लग गयी l यद्यपि पिता और पुत्र बच गए, पिता अभी भी अस्पताल में भर्ती थे जबकि उसकी पत्नी, माँ, और दो छोटे बच्चों की मृत्यु हो गयी l दुर्भाग्यवश, इस प्रकार की दिल दहला देनेवाली घटनाएं बार-बार होती रहती हैं l जब उनकी पुनरावृति होती है, उसी तरह वह पुराना प्रश्न भी है : अच्छे लोगों के साथ बुरी बातें क्यों होती हैं? और यह हमें चकित नहीं करता कि इस पुराने प्रश्न के नए उत्तर नहीं हैं l

फिर भी भजन 46 में भजनकार द्वारा बताया गया सच दोहराया गया है और उसका अभ्यास किया गया  है और बार-बार अपनाया गया है l “परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक” (पद.1) l पद. 2-3 में वर्णित स्थिति विनाशकारी है – पृथ्वी और पहाड़ का समुद्र में डाल दिया जाना और समुद्र का गर्जना l जब हम आंधी में घिरे होने की कल्पना करते हैं हम भयभीत होते हैं जिसका वर्णन यहाँ पर काव्यात्मक रूप से किया गया है l किन्तु कभी-कभी हम ज़रूर अपने को वहाँ पाते हैं – लाइलाज बीमारी की बढ़ती पीड़ा में, विनाशकारी आर्थिक संकट के द्वारा उछाले जाने में,  प्रिय लोगों की मृत्यु द्वारा आहत और निस्तब्ध l

परेशानियों की उपस्थिति का अर्थ परमेश्वर की अनुपस्थितीत है पर तर्क संगत व्याख्या करना प्रलोभक है l परन्तु वचन का सच ऐसे विचारों का विरोध करता है l “सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है” (पद.7,11) l जब हमारी स्थितियां बर्दाश्त करने से बाहर होती है वह उपस्थित होता है, और हम उसके चरित्र में आराम पाते हैं : वह अच्छा, प्रेमी और विश्वासयोग्य है l

हमारी दुर्बलता में

यद्यपि ऐनी शीफ मिलर की मृत्यु 90 वर्ष की आयु में 1999 में हुयी, वह अकाल प्रसव के बाद सेप्टिसीमिया(खून का जहरीला हो जाना/blood poisoning) हो जाने और सभी इलाज के असफल होने के बाद लगभग 1942 में मर चुकी थी l जबकि उसी अस्पताल के एक मरीज़ ने अपने संपर्क में एक विज्ञानी के विषय बताया कि वह एक नयी चमकारिक औषधि पर कार्य कर रहा है l ऐनी के डॉक्टर ने सरकार से ऐनी को उसी दवा की एक छोटी खुराक देने के लिए जोर डाला l एक ही दिन में, उसका तापमान नार्मल हो गया था! पेनिसिलिन(औषधि) ने ऐनी का जीवन बचा लिया था l

पतन के समय से, समस्त मानव जाति पाप द्वारा लायी गयी विनाशक आत्मिक स्थिति का अनुभव कर रही है (रोमियों 5:12) l केवल यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य ही हमारी चंगाई को संभव बनाया है (8:1-2) l पवित्र आत्मा हमें इस पृथ्वी पर और परमेश्वर की उपस्थिति में अनंत के लिए बहुतायत के जीवन का आनंद लेने के योग्य बनाता है (पद.3-10) l “यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया, तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी नश्वर देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है, जिलाएगा” (पद.11) l

जब आपका पापी स्वभाव आपके अन्दर के जीवन को निचोड़ने की धमकी दे, अपने उद्धार के श्रोत, यीशु, की ओर देखें, और उसकी आत्मा की सामर्थ्य द्वारा सुदृढ़ बनें (पद.11-17) l “आत्मा . . . हमारी निर्बलता में सहायता करता है” और “ हमारे लिए विनती करता है” (पद.26-27) l

खलनायकों को बचाना

कॉमिक पुस्तक का नायक(हीरो) हमेशा ही लोकप्रिय रहा है l केवल 2017 में ही, छः सुपरहीरो फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस बिक्री में $4 बिलियन(ख़रब) अमरीकी डॉलर कमाए l परन्तु लोग क्यों बड़े एक्शन फिल्मों की ओर आकर्षित होते हैं?

शायद इसलिए क्योंकि, कुछ हद तक, ऐसी कहानियाँ परमेश्वर की बड़ी कहानी के समान दिखाई देती हैं l एक नायक(हीरो) है, एक खलनायक(villain) है, लोग जिन्हें बचाना ज़रूरी  है, और ढेर सारे दिलचस्प एक्शन l

इस कहानी में, सबसे बड़ा खलनायक शैतान है, हमारी आत्माओं का शत्रु l परन्तु इसके साथ और ढेर सारे “छोटे” खलनायक भी हैं l उदाहरण के लिए, दानिय्येल की पुस्तक में, एक नबूकदनेस्सर है, उस समय के ज्ञात संसार का राजा, जिसने ऐसे हर एक को मारने का निर्णय लिया जो उसकी विशाल मूर्ति को दंडवत नहीं करता था (दानिय्येल 3:1-6) l जब तीन साहसी यहूदी अधिकारियों ने इनकार किया (पद.12-18), परमेश्वर ने नाटकीय रूप से उनको उस धधकती भट्टी से बचाया (पद.24-27) l

परन्तु एक आश्चर्जनक मोड़ में, हम इस खलनायक के हृदय को बदलते हुए देखते हैं l इस असाधारण धटना के प्रतिउत्तर में, नबूकदनेस्सर कहता है, “धन्य है शद्रक, मेशक, और अबेदनगो का परमेश्वर” (पद.28) l

परन्तु उसने परमेश्वर का अनादर करनेवाले किसी भी व्यक्ति को मारने की धमकी दी (पद.29), नहीं समझते हुए कि परमेश्वर को उसकी सहायता नहीं चाहिए थी l नबूकदनेस्सर अध्याय 4 में और अधिक परमेश्वर के विषय सीखनेवाला था – परन्तु वह एक अलग कहानी है l

जो हम नबूकदनेस्सर में देखते हैं वह केवल एक खलनायक नहीं है, परन्तु आत्मिक यात्रा में एक व्यक्ति l परमेश्वर के उद्धार की कहानी में, हमारा नायक(हीरो) यीशु, हर एक के पास पहुँचता है जिसे बचाव की ज़रूरत है – जिसमें हमारे बीच के खलनायक भी सम्मिलित हैं l